Detailed Notes on Shodashi
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Kadi mantras are considered to be one of the most pure and in many cases are employed for better spiritual techniques. They are really related to the Sri Chakra and are believed to bring about divine blessings and enlightenment.
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥३॥
Matabari Temple is often a sacred area where by people today from various religions and cultures gather and worship.
॥ अथ त्रिपुरसुन्दर्याद्वादशश्लोकीस्तुतिः ॥
सा मे दारिद्र्यदोषं दमयतु करुणादृष्टिपातैरजस्रम् ॥६॥
An early morning bathtub is considered vital, followed by adorning refreshing clothes. The puja area is sanctified and decorated with bouquets and rangoli, creating a sacred Area for worship.
Devotees of Tripura Sundari have interaction in numerous rituals and practices to precise their devotion and look for her blessings.
Worshipping Goddess Shodashi is not only about trying to get substance Added benefits but in addition with regards to the inner transformation and realization with the self.
भगवान् शिव ने कहा — ‘कार्तिकेय। तुमने एक अत्यन्त रहस्य का प्रश्न पूछा है और मैं प्रेम वश तुम्हें यह अवश्य ही बताऊंगा। जो सत् रज एवं तम, भूत-प्रेत, मनुष्य, प्राणी हैं, वे सब इस प्रकृति से Shodashi उत्पन्न हुए हैं। वही पराशक्ति “महात्रिपुर सुन्दरी” है, वही सारे चराचर संसार को उत्पन्न करती है, पालती है और नाश करती है, वही शक्ति इच्छा ज्ञान, क्रिया शक्ति और ब्रह्मा, विष्णु, शिव रूप वाली है, वही त्रिशक्ति के रूप में सृष्टि, स्थिति और विनाशिनी है, ब्रह्मा रूप में वह इस चराचर जगत की सृष्टि करती है।
देवस्नपनं उत्तरवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि
Goddess Lalita is worshipped by various rituals and methods, like viewing her temples, attending darshans and jagratas, and carrying out Sadhana for both of those worldly pleasures and liberation. Every single Mahavidya, including Lalita, has a certain Yantra and Mantra for worship.
कामाक्षीं कामितानां वितरणचतुरां चेतसा भावयामि ॥७॥
Goddess Shodashi is often called Lalita and Rajarajeshwari which implies "the one who plays" and "queen of queens" respectively.
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।